इंदौर के प्रथम नागरिक की नहीं सुन रहे सरकारी विभाग, महापौर ने सीएस को चिट्ठी लिखकर बताई पीड़ा, खुद की जिम्मेदारियों से झाड़ा पल्ला.


इंदौर। यह विडंबना ही है कि इंदौर के सरकारी विभाग यहां की जनता द्वारा भारी मतों से चुने गए प्रथम नागरिक महापौर पुष्यमित्र भार्गव की नहीं सुन रहे। महापौर ने सीएस अनुराग जैन को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बताई है। महापौर ने इसमें लिखा है कि कई बार बैठक करने के बाद भी विभाग उनकी नहीं सुन रहे हैं।
महापौर ने अपने पत्र में लिखा है कि ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने और आवागमन को सुगम करने के लिए शासन द्वारा मध्यप्रदेश रोड विकास प्राधिकरण, इंदौर विकास प्राधिकरण, मेट्रो विभाग और नेशनल हाईवे अथॉरिटी के जरिए फ्लाईओवर निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। इन विभागों के साथ समन्वय बैठक कर पूर्व में निर्देश दिए गए थे कि निर्माण कार्य जारी रखते हुए वैकल्पिक मार्ग और सर्विस रोड को सुचारू रखें, ताकि आमजन को असुविधा न हो और दुर्घटनाओं की संभावना न रहे।
लोग नगर निगम को ठहराते हैं दोषी
महापौर ने लिखा है कि इन विभागों की अकर्मण्यता के कारण वैकल्पिक मार्गों पर बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं और राज्य शासन, प्रशासन, नगर निगम और सरकार की छवि पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। आम नागरिक जानकारी के अभाव में नगर निगम को दोषी मानते हैं, जबकि इसके लिए निर्माण एजेंसियां जिम्मेदार हैं।
बैठक के निर्देश भी नहीं मान रहे विभाग
महापौर ने लिखा कि 6 सितंबर को एक बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वैकल्पिक मार्ग और सर्विस रोड को दुरुस्त किया जाए, गड्ढों को भरा जाए और यातायात को सुरक्षित बनाया जाए। इसके बाद भी संबंधित विभागों ने इसे अनदेखा किया है, जो अनुचित है।
सीएस से तत्काल संज्ञान लेने की मांग
महापौर ने पत्र के माध्यम से सीएस से आग्रह किया है कि वे संबंधित विभागों की लापरवाही पर तत्काल संज्ञान लेकर कार्रवाई करें ताकि जनता को हो रही असुविधा और दुर्घटनाओं से राहत मिल सके।
आपकी ताकत क्यों नहीं समझ पा रहे विभाग
महापौर की इस चिट्ठी के बाद जनता के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। जिस शहर में एक पार्षद किसी भी विभाग के अधिकारी को चमका कर अपना काम करवा लेते हैं, उसी इंदौर में कोई महापौर की नहीं सुन रहा। लोग तो कह रहे हैं कि महापौरजी, आपने चिट्ठी लिखकर अपनी और भद्द पिटवा ली। आखिर आप चुने हुए जनप्रतिनिधि हो, जनता ने आपको भारी मतों से इसलिए विजयी बनाया, ताकि आप समस्या का समाधान करेंगे, लेकिन आप ने तो हाथ खड़े कर दिए। क्या यह मान लिया जाए कि इस शहर में आपकी बिल्कुल ही नहीं चलती या फिर यह मान लिया जाए कि आप जिम्मेदारी से बचना चाहते हो।