देवी अहिल्या संस्था की वरीयता सूची में 224 प्लॉटों का खेल, बिना ऑडिट ही अब अपात्र लोगों को प्लॉट बांटने में जुटे विमल अजमेरा.


इंदौर। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था के अध्यक्ष विमल अजमेरा और उपाध्यक्ष अभी भी फर्जीवाड़ा करने में जुटे हुए हैं। सहकारिता विभाग और जिला प्रशासन के दबाव के बाद उन्होंने श्रीमहालक्ष्मी नगर और अयोध्यापुरी की वरीयता सूची तो प्रकाशित कर दी, लेकिन उसमें भारी खेल हुआ है। अब अजमेरा ऐसे 224 लोगों को प्लॉट बांटने की तैयारी कर रहे हैं, जो पात्र ही नहीं है।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन कलेक्टर ने अयोध्यापुरी और महालक्ष्मी नगर के सदस्यों की पात्रता की जांच के लिए दल का गठन किया था। जांच कमेटी द्वारा तैयार पात्रता सूची सहकारिता विभाग को सौंपी गई थी। बताया जाता है कि इसमें श्रीमहालक्ष्मी नगर में 224 नाम हाईकोर्ट के आदेश पर जोड़े गए थे। हाईकोर्ट ने कहा था कि इनके नाम पर भी विचार किया जाए। सहकारिता विभाग ने यह सूची देवी अहिल्या संस्था को भेजते हुए यह कहा था कि इनकी जांच कर सूची में नाम जोड़े जाएं।
अजमेरा ने 224 नामों पर नहीं ली आपत्ति
बताया जाता है कि अजमेरा ने 224 नाम जोड़े जाने पर न तो हाईकोर्ट में आपत्ति ली और न ही सहकारिता विभाग को कोई पत्र लिखा। सूत्र बताते हैं कि ऐसे लोगों से अजमेरा और काला की सांठगांठ थी। हाईकोर्ट और सहकारिता विभाग के यह कहने के बावजूद की जांच-पड़ताल कर सूची में इनके नाम जोड़े जाएं, अजमेरा ने बिना जांच इनके नाम जोड़ दिए।
224 लोगों को भेज दिया पात्र होने का पत्र
वरीयता सूची में यह 224 नाम शामिल कर अजमेरा ने इन सभी को एक पत्र भी भेज दिया। इसमें कहा गया है कि हर्ष के साथ आपको सूचित किया जाता है कि आप पात्र हो गए हैं। अपने दस्तावेज का परीक्षण कराकर प्लॉट ले लें। इसके विपरित काफी सदस्यो को सिर्फ इसलिए अपात्र कर दिया, क्योंकि उनके पैसे कम जमा थे। ऐसे सदस्यों को पैसे जमा कराने के लिए कोई सूचना नहीं दी गई। नियमानुसार पहले सूचना दी जानी थी और दस्तावेज आदि मांगने थे। समय पर पर अगर पैसा और दस्तावेज जमा नहीं होता तो जाहिर सूचना निकालकर उन्हें अपात्र घोषित करना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यहां सवाल यह है कि जब ऐसे लोगों के डाक्यूमेंट ही संस्था में नहीं हैं और न ऑडिट कराया गया, ये लोग आखिर पात्र कैसे हो गए।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं कराया ऑडिट
सहकारिता विभाग के नियमानुसार बिना ऑडिट कराए किसी पात्र-अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता, लेकिन अजमेरा ने ऐसा किया है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने रिट याचिका क्रमांक 5503/12 में 11 जून 2012 को पारित अपने आदेश में 45 दिन के अंदर देवी अहिल्या संस्था के स्पेशल ऑडिट कराने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद 2005-06 के बाद इस संस्था का नियमित ऑडिट भी नहीं कराया गया। इस संबंध में संयुक्त आयुक्त सहकारिता, इंदौर संभाग द्वारा 5 मार्च 2018 को उपायुक्त सहकारिता को लिखे पत्र में भी इसका हवाला दिया गया था। इसमें स्पष्ट लिखा था कि 2009 से संचालक मंडल भंग होने के बाद लगातार 9 वर्ष संस्था का ऑडिट नहीं हुआ है। यह तब हुआ जब संस्था में प्रशासक तैनात था। 2021-25 तक विमल अजमेरा अध्यक्ष रहे, फिर भी संस्था का ऑडिट नहीं हुआ। विभागीय पत्र व्यवहार चलता रहा, लेकिन ऑडिट नहीं हुआ। अब तो इस संबंध में कोई पत्र व्यवहार भी नहीं हो रहा है।