एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. दीक्षित की बढ़ी मुसीबत, रिटायरमेंट से पहले ही आयुष्मान इंसेंटिव घोटाले में आरोप पत्र जारी.


इंदौर। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डीन डॉ. संजय दीक्षित की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही। इसी महीने उनका रिटायरमेंट होना है और इससे पहले ही 18 नवंबर को आयुष्मान इंसेंटिव घोटाले में आरोप पत्र जारी हो गया है। इसका जवाब उन्हें 21 दिन के भीतर देना है। इतना समय तो उनके रिटायरमेंट में भी नहीं बचा है। इसके साथ ही लोकायुक्त भोपाल में भी जांच प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई।
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज में करोड़ों के आयुष्मान इंसेंटिव गड़बड़ी ( भ्रष्टचार) और बंदरबाट मामले में डीन डॉक्टर संजय दीक्षित के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया है। यह आरोप पत्र मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के नियम (14)के अंतर्गत जारी किया गया है। डीन डॉ. संजय दीक्षित को 21 दिन के भीतर इस आरोप पत्र का जवाब प्रस्तुत करना है। यदि वे इस समय के अंदर जवाब नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ एक तरफ विभागीय कार्यवाही की जा सकेगी।
चहेते डॉक्टरों को दे दी ज्यादा राशि
इंसेंटिव घोटाले में डीन दीक्षित पर आरोप है कि उन्होंने आयुष्मान नियमों की अवहेलना कर इंसेंटिव वितरण में मनमानी की। अपने चहेते अधिकारियों और कर्मचारियों को करोड़ों रुपए का इंसेंटिव मनमर्जी से बांट दिया। वहीं एक आरोप यह भी है कि वितरण मनमानी के बदले उन्हें बैकडोर से लाभ मिला। वितरण मनमानी में डीन ने पात्र अधिकारियों को किनारे कर दिया वही कुछ को नियम से बढ़ाकर इंसेंटिव प्रदान किया। जिसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर संभाग आयुक्त से लेकर भोपाल में उच्च अधिकारियों को भी की गई थी।
संभागायुक्त की जांच में मिली थी गड़बड़ी
इस मामले की जांच तत्कालीन संभागायुक्त मालसिंह भायड़िया ने करवाई थी। जांच में तो डीन संजय दीक्षिते के अलावा डॉक्टर यामिनी गुप्ता और फार्मासिस्ट रामेश्वर चंदेल भी गड़बड़ी में दोषी पाए गए थे। इसी मामले में भोपाल लोकायुक्त में भी प्रकरण दर्ज कर हुआ है। अब विभागों से दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं।
डीन के खिलाफ जारी आरोप पत्र में क्या है-
1. आयुष्मान वितरण का इंसेंटिव प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करने वालों को करना था, जबकि डीन ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों को भी इंसेंटिव बांट दिया
2. समान कैडर के अधिकारियों को इंसेंटिव की एक प्रतिशत राशि प्रदान करनी थी, जबकि डीन ने समान कैडर के डॉ. डी के शर्मा को इंसेंटिव राशि प्रदान नहीं की। इसके विपरीत उन्हीं के कैडर की डॉ. यामिनी गुप्ता को एक प्रतिशत की जगह 2% इंसेंटिव राशि प्रदान कर दी।
3. 24 नवंबर 2018 एवं 23 जनवरी 2019 को जारी आदेश के पालन में दिनांक 8 जनवरी 2021 तक नोडल अधिकारी को इंसेंटिव राशि नहीं दी जानी थी। इसके बाजूद डीन ने नोडल अधिकारी को भी इंसेंटिव राशि दे दी।
विभाग ने जांच में दोषी पाया
इन आरोपों के आधार पर विभाग ने डॉ. संजय दीक्षित को डीन पद पर रहते हुए आयुष्मान इंसेंटिव वितरण में किए गए भ्रष्टाचार के लिए सिविल सेवा नियम 1965 के नियम 3 के उल्लंघन का दोषी पाया है। इस पूरे प्रकरण में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डॉ. यामिनी गुप्ता, डॉ. डीके शर्मा और डॉ. अशोक यादव को गवाहों की सूची में शामिल किया है।
डीन की कोशिश रही नाकाम
कई वर्षों से चल रहे इस घोटाले को डीन अपने रिटायरमेंट तक जैसे-तैसे खींचना चाह रहे थे। इसके लिए वे भोपाल स्तर तक लगातार कोशिश करते रहे, ताकि रिटायरमेंट के बेनिफिट्स पर कोई असर न पड़े। लेकिन, अब आरोप पत्र जारी होने के बाद डीन का पूरा खेल ही बिगड़ गया है। अब रिटायरमेंट में तो परेशानी आएगी ही, रिटायरमेंट के बाद भी उनकी मुसीबतें कम होती नजर नहीं आ रहीं।
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