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ग्लोबल वॉर्मिंग का हिमालयी ग्लेशियरों पर गंभीर खतरा: दो डिग्री तापमान वृद्धि पर 75% बर्फ पिघलने का अनुमान

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ग्लोबल वॉर्मिंग का हिमालयी ग्लेशियरों पर गंभीर खतरा: दो डिग्री तापमान वृद्धि पर 75% बर्फ पिघलने का अनुमान

हिंदू कुश हिमालय की हिमनद (ग्लेशियर) एशिया की प्रमुख नदियों का स्रोत हैं, जो करीब 2 अरब लोगों की जीवनरेखा मानी जाती हैं। एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि अगर वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है, तो इस सदी के अंत तक 75% हिमालयी बर्फ पिघल सकती है।

Glacier | ग्लेशियरों के पिघलने से बढ़ता संकट

पेरिस समझौते के लक्ष्यों पर ही बच सकती है आधी से ज़्यादा बर्फ

प्रसिद्ध जर्नल 'साइंस' में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, अगर दुनिया 2015 के पेरिस समझौते के अनुसार तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखती है, तो हिमालय और कॉकसस क्षेत्रों की 40-45% ग्लेशियर बर्फ बचाई जा सकती है।

लेकिन अगर मौजूदा जलवायु नीतियाँ अपर्याप्त रहीं और तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, तो दुनियाभर की केवल 25% ग्लेशियर बर्फ ही बच पाएगी।

यूरोप, अमेरिका और आइसलैंड के ग्लेशियर पर सबसे बड़ा असर

  • आल्प्स (यूरोप), रॉकी पर्वतमालाएं (अमेरिका-कनाडा) और आइसलैंड जैसे क्षेत्रों में लगभग सारी बर्फ पिघल सकती है।
     
  • 2 डिग्री तापमान वृद्धि पर इन इलाकों में सिर्फ 10-15% बर्फ ही बचेगी (2020 के स्तर से)।
     
  • स्कैंडिनेविया की स्थिति और भी गंभीर होगी, जहां सारी बर्फ खत्म हो सकती है।
     

हर आधे डिग्री तापमान की बढ़ोतरी मायने रखती है

अध्ययन में कहा गया है कि अगर दुनिया 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पा ले, तो वैश्विक स्तर पर 54% मौजूदा बर्फ संरक्षित रह सकती है। वहीं, सबसे संवेदनशील 4 क्षेत्रों में 20-30% बर्फ को बचाया जा सकेगा।

21 वैज्ञानिकों का वैश्विक अध्ययन

इस शोध में 10 देशों के 21 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। उन्होंने 2 लाख ग्लेशियरों का डाटा और 8 अलग-अलग ग्लेशियर मॉडल का इस्तेमाल कर यह अनुमान लगाया कि किस तापमान स्तर पर कितनी बर्फ बचाई जा सकेगी।

ग्लेशियरों का भविष्य आज के निर्णयों पर निर्भर

अध्ययन में शामिल  डॉ. हैरी ज़ेकोलारी के अनुसार हमारा अध्ययन स्पष्ट दिखाता है कि हर एक डिग्री नहीं, बल्कि हर 'आधा डिग्री' तापमान वृद्धि भी बहुत मायने रखती है। आज जो फैसले हम लेंगे, उनके असर आने वाली कई पीढ़ियों तक दिखाई देंगे।”

इस अध्ययन से यह स्पष्ट है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को नियंत्रित करना न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि अरबों लोगों की जल-सुरक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

 

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Editor

Abhilash Shukla

A Electronic and print media veteran having more than two decades of experience in working for various media houses and ensuring that the quality of the news items are maintained.

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