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नितेश राणे का सवाल: होली-दीवाली पर पर्यावरण की बात, बकरीद पर क्यों चुप हैं पशु प्रेमी?

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नितेश राणे का सवाल: होली-दीवाली पर पर्यावरण की बात, बकरीद पर क्यों चुप हैं पशु प्रेमी?

महाराष्ट्र के मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास मंत्री नितेश राणे ने पर्यावरणविदों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने सवाल किया कि बकरीद के अवसर पर वर्चुअल उत्सव की अपील क्यों नहीं की गई, जैसे कि होली और दिवाली के समय की जाती है।

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राणे ने कहा, “कुछ लोग त्योहारों के दौरान पर्यावरण की दुहाई देते हुए पटाखे न फोड़ने या रंग न खेलने की सलाह देते हैं। अब वे कहां हैं? बकरीद को वर्चुअल तरीके से मनाने की अपील क्यों नहीं हो रही? ये पशु प्रेमी सिर्फ हिंदू त्योहारों को ही क्यों निशाना बनाते हैं?”

उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि संविधान सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है, चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम। “यह हिंदू राष्ट्र है। अगर बाबा साहब अंबेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान हिंदुओं पर लागू होता है, तो वही मुसलमानों पर भी लागू होना चाहिए। शरिया कानून यहां नहीं चलेगा,” उन्होंने जोर देकर कहा।

राणे ने बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी के मुद्दे पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर तय नियमों और कानूनों का पालन किए बिना बलि दी गई, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने मांग की कि मुस्लिम धार्मिक नेता पर्यावरण के अनुकूल बकरीद मनाने की अपील करें, ताकि पशु अधिकार कार्यकर्ता भी संतुष्ट हों और समाज में अनावश्यक विवाद पैदा न हों।

राणे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब त्योहारों को लेकर धार्मिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की बहस लगातार जारी है।

 

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Editor

Abhilash Shukla

A Electronic and print media veteran having more than two decades of experience in working for various media houses and ensuring that the quality of the news items are maintained.

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