मीठा-मीठा बोल सबके साथ खेल रहा है भाजपा का यह ‘बांका’, नेता से लेकर कार्यकर्ता तक कह रहे-हमने ऐसा नहीं था ‘आंका’.
इंदौर। इन दिनों इंदौर भाजपा में नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा की जबरदस्त चर्चा है। भाजपा के नेता व कार्यकर्ता कह रहे हैं कि भाजपा का यह नया बांका मीठा-मीठा बोल सबके साथ खेल रहा है। कार्यकारिणी बनाने में भी उन्होंने सभी को मीठी गोली बांटी। जिनके साथ नहीं खेल पाए उनके समर्थकों को शामिल कर लिया, लेकिन जीतू जिराती जैसे कई नेताओं का पत्ता पूरी तरह से काट दिया।
मिश्राजी, हमेशा संतुलन बनाने की बात कहते हैं, लेकिन इसकी हकीकत कार्यकारिणी गठन के साथ ही सामने आ गई थी। इंदौर भाजपा के इतिहास में पहली बार भाजपा कार्यालय पर किसी नगर अध्यक्ष का पुतला जला। पोस्टर और कार्यालय के अंदर लगे नेमप्लेट पर कालिख पोती गई। अब बांका तो बांका है, उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। किस्मत ऐसी कि प्रदर्शन करने वाले ही माफी मांग लिए और बांका इस मुसीबत से मक्खन की तरह निकल गया। न किसो पर कोई एक्शन हुआ और न ही ज्यादा विरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि भाजपा में चर्चा इस बात की रही कि एक्शन नहीं लेने से लोगों का हौसला बढ़ेगा और आगे भी ऐसी घटना हो सकती है।
अधिकांश विधानसभाओं में पंगा
पार्टी में इस बात की चर्चा है कि भाजपा के इस नए बांके का अधिकांश विधानसभाओं के नेताओं से पंगा है। एक नंबर विधानसभा का उदारण लें तो वहां कैलाश विजयवर्गीय को बैलेंस करना बांके की मजबूरी है, लेकिन आकाश विजयवर्गीय से बिल्कुल ही नहीं बनती। दो नंबर विधानसभा में रमेश मेंदोला से बांका पंगा नहीं ले सकता, क्योंकि उनकी बदौलत ही यह कुर्सी मिली है लेकिन वहां के आम कार्यकर्ता परेशान हैं। सूत्र बताते हैं कि रमेश मेंदोला ने कई बार बांके को समझाने की कोशिश भी की है, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
तीन नंबर विधानसभा पर लगा रखी है नजर
भाजपा में नगर अध्यक्ष के टिकट मांगने की परंपरा चली आ रही है। ऐसे में बांके की नजर तीन नंबर विधानसभा पर है। भले ही गोलू शुक्ला ने वहां अपना स्थान बना लिया हो। गोलू को लोग पसंद भी करने लगे हैं। अभी बेटे की शादी में ही गोलू अपनी ताकत दिखा रहे हैं, लेकिन बांके का खेल भी जारी है। भाजपा नेता ही कह रहे हैं कि गोलू को बांके को ज्यादा करीब लाना बाद में भारी पड़ सकता है। अच्छे संबंध के बाद भी आकाश विजयवर्गीय ने गोलू की मदद नहीं की, जबकि बांका तो खुद ही टिकट के लिए जोर मार रहा है। नगर कार्यकारिणी के गठन में भी बांके ने गोलू शुक्ला की सहमति के बगैर स्वाति काशिद को मंत्री बनाया।
चार नंबर में भी खेल दिखा चुके है बांका
नगर कार्यकारिणी के गठन में बांके ने चार नंबर विधानसभा में अपना जबरदस्त खेल दिखाया था। विधायक मालिनी गौड़ जिसे महामंत्री बनाना चाहती थीं, उसे न बनाकर उनके सिंधी समाज के दूसरे समर्थक को पद दिया। इसका प्रमुख कारण था सांसद शंकर लालवानी के समर्थक विशाल गिडवानी को रोकना। इतना ही नहीं बांके ने विशाल को मंत्री तक बनाना उचित नहीं समझा। जब देखा कि बवाल मच जाएगा तो विशाल की मां पार्षद कंचन गिडवानी को मंत्री बना दिया।
मधु वर्मा को खुश किया, जिराती को निपटाया
पांच नंबर विधानसभा में भी बाबा महेंद्र हार्डिया समझ गए हैं कि बांका अपनी आदतों से बाज नहीं आएगा। पुराने एहसानों के कारण बाबा समर्थकों को कार्यकारिणी में शामिल किया गया। इधर, छह नंबर में बांके ने मधु वर्मा को तो खुश कर दिया, लेकिन जीतू जिराती को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया। वह भी तब जब जिराती को प्रदेश उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया तो बांके के हौसले और बुलंद हो गए और आखिरी तक धोखे में रखकर उनके एक भी समर्थक का नाम शामिल नहीं किया। इसी का परिणाम कालिख कांड रहा।
पटेल को समझा दिया, सिलावट मजबूरी
भाजपा के नए बांके ने विधायक मनोज पटेल को तो समझा दिया कि नगर कार्यकारिणी से उनका कोई वास्ता नहीं है, लेकिन तुलसी सिलावट के नाम एडजस्ट करना मजबूरी रही। मंत्री होने के नाते तुलसी सिलावट ग्रामीण क्षेत्र का नेता होने के बावजूद शहर में सक्रिय हैं। जब भी सीएम इंदौर आते हैं, सिलावट उनके साथ होते हैं। इतना ही नहीं वे अपने समर्थकों को सीएम से मिलवा भी देते हैं। इसलिए मजबूरी में बांका सिलावट से पंगा नहीं ले पाता।
नेता से लेकर कार्यकर्ता तक के फोन स्पीकर पर
भाजपा के कार्यकर्ता नगर अध्यक्ष के फोन करने की एक बुरी आदत से भी परेशान हैं। अध्यक्ष महोदय जब भी फोन करते हैं स्पीकर ऑन रहता है। वे जानबूझकर आसपास मौजूद कार्यकर्ताओं से फोन पर हो रही बातचीत सुनाते हैं। इसको लेकर कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की आपत्ति है। कार्यकर्ता कह रहे हैं कि झांकी जमाने के लिए ऐसा करना उचित नहीं है, लेकिन मिश्राजी फोन पर हो रही गोपनीय बातचीत को सार्वजनिक कर ही खुश होते रहते हैं।