भोलेनाथ के सबसे ‘बड़े भक्त’ पं.प्रदीप मिश्राजी, जरा बताएंगे…क्या शिव को प्रसन्न करने के लिए इंसान की ‘बलि’ है जरूरी?.


पं.प्रदीप मिश्राजी, माना कि आप दुनिया के सबसे शिव साधक हो। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आपको टोटकों की पोटली दी है, लेकिन क्या भगवान ने यह भी कहा था कि जनता को जितना कष्ट दोगे उतना ही मैं प्रसन्न होऊंगा। शायद तभी तो आप बार-बार, हर बार, लगातार शिव के भक्तों यानी आम जनता को कष्ट देते रहते हो।
कभी रुद्राक्ष बांटने के बहाने बुलाकर जान ले लेना, तो कभी कांवड़ यात्रा के नाम पर भीड़ जुटाकर श्रद्धालुओं की बलि चढ़ा देना, क्या भगवान शिव इससे प्रसन्न हो रहे होंगे? ताज्जुब तो तब होता है कि कल से आज तक आपके कुबरेश्वर धाम में चार मौतें होने के बाद भी आपकी कांवड़ यात्रा के कार्यक्रम में कोई कमी नहीं रही। दुखी होने की बजाए आप यात्रा पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसवाते रहे।
पंडितजी, जरा बता सकते हैं कि शिव पुराण के किस अध्याय में लिखा है कि जनता को जितना कष्ट दोगे, ईश्वर उतना ही प्रसन्न होंगे। आपके कुबरेश्वरधाम में भले ही 10 हजार लोगों के लिए भी व्यवस्था न हो लेकिन आप बुलाएंगे 10-15 लाख लोग। सरकार के करोड़ों रुपए खर्च कर बने इंदौर-भोपाल हाईवे को तो आपने अपने कुबरेश्वरधाम की निजी सड़क बना दी है। हर बार जब भी आपके यहां कोई आयोजन होता है, यह सड़क डायवर्ट कर दी जाती है और लाखों लोग आसपास के गांवों की पंगडंडियों से होकर घंटों समय बर्बाद कर भोपाल या इंदौर पहुंचते हैं।
ताज्जुब तो सरकार पर भी होता है कि आखिर किस आधार पर हाईवे को बंद किया जाता है? बड़ा सवाल यह भी है कि हर बार कुबरेश्वरधाम में अव्यवस्था फैलने के बाद भी पुलिस-प्रशासन ऐसे आयोजनों की अनुमति क्यों देता है? आखिर सरकार की क्या मजबूरी है जो पंडितजी के लिए कुबरेश्वरधाम के अंदर और बाहर हाईवे पर लाखों लोगों को परेशान किया जाता है?
पंडितजी की शिवभक्ति पर कोई सवाल नहीं है। उनके टोटकों और शिव महापुराण पर भी कोई सवाल नहीं है, लेकिन आम जनता की परेशानी पर तो सवाल उठाना जायज है?
वैसे, पंडितजी, अगर आप सच्चे शिवभक्त हो तो आपको भी सोचना चाहिए, क्योंकि शिव तो जन-जन के भगवान हैं और वे कभी भक्तों को परेशान होता नहीं देखना चाहेंगे?