भोपाल में खुलेगा गुजरात के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का कैंपस, मोहन कैबिनेट ने 10 एकड़ जमीन देने का किया फैसला.


भोपाल। गुजरात के गांधी नगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का कैम्पस भोपाल में भी खुलेगा। सीएम डॉ.मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके लिए सरकार राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में 10 एकड़ जमीन देगी। कैबिनेट में वृंदावन ग्राम योजना का भी अनुमोदन कर दिया गया। इसके तहत हर विधानसभा में एक वृंदावन ग्राम विकसित किया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक के बाद डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय गांधीनगर का कैम्पस भोपाल के लिए स्वीकृत हुआ है। इसके लिए 10 एकड़ जमीन आरजीपीवी कैम्पस में दी जाएगी। जब तक आरआरयू का अपना भवन नहीं बनेगा, तब तक आरजीपीवी के भवन से संचालित किया जाएगा। जब रक्षा विश्वविद्यालय अपना कैम्पस तैयार कर लेगा, तो वहां शिफ्ट हो जाएगा। इस संस्थान के आने से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रोजगार और कौशल के लिए एमपी के बच्चों को मौका मिलेगा। राज्य और राष्ट्र स्तर के मामले में मजबूती मिलेगी। शुक्ला ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत प्रदेश में बनाए गए पुल और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिससे आवागमन में दिक्कत हो रही है। इसलिए सरकार ने मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के माध्यम से इन सड़कों और पुलों को सुधारने का निर्णय लिया है। 1766 पुलों के निर्माण के लिए 4572 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।
एक बगिया मां के नाम से योजना
बैठक में डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार एक बगिया मां के नाम से नई योजना प्रारंभ करने जा रही है, जिसमें स्व-सहायता समूह की 30 हजार महिलाएं आजीविका संवर्धन के लिए 30 हजार एकड़ भूमि पर 30 लाख उद्यानिकी पौधों का रोपण करेंगी। इस पर करीब 900 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस भूमि पर फल उद्यान का विकास किया जाएगा। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की लगभग 100 नदियों के उद्गम स्थलों पर दस-दस एकड़ भूमि पर 42 करोड़ रुपए की लागत से पौधों का रोपण किया जाएगा।
जल गंगा संवर्धन अभियान की चर्चा
बैठक शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत खेत का पानी खेत में संचित करने के उद्देश्य से प्रदेश में 85 हजार से अधिक खेत तालाबों का निर्माण किया है। भूजल संवर्धन के लिए 1 लाख से अधिक कुओं का पुनर्भरण किया। पानी की अमृत बूंद को सहेजने के लिए अमृत सरोवर 2.0 के तहत 1000 से अधिक नए अमृत सरोवरों का निर्माण प्रारंभ हुआ है। शहरी क्षेत्र में समाज की सहभागिता से 3300 से अधिक जल स्रोतों का पुनर्जीवन, 2200 नालों की सफाई और 4000 वर्षा जल संचयन संरचनाएं बनाई गईं।