आखिर पोस्टर पर क्यों उमड़ रहा भगवान के प्रति प्यार?.
इन दिनों पूरे देश में आई लव मोहम्मद को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। यूपी से शुरू हुआ यह मसला पूरे देश में फैल गया गया है। लोग इसके विरोध में आई लव महाकाल, आई लव श्रीराम आदि नारे उछाल रहे हैं। बैनर-पोस्टर भी जगह-जगह लगे हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल है कि आई लव मोहम्मद या आई लव महाकाल की जरूरत क्यों पड़ी?
यूपी सहित कई राज्यों में यह मामला फिलहाल गरमा रहा है। बरेली में हुई हिंसा के बाद सीएम योगी ने सख्त एक्शन भी दिखाया है। कई मुल्ला-मौलवी जेल जा चुके हैं। कई घर और दुकानों पर बुलडोजर चल चुका है। कई अन्य राज्यों में माहौल गरमाने की तैयारी हो रही है।
भगवान हर धर्म में हैं। जाहिर है सबको प्यारे भी हैं। अगर कोई अपने भगवान को प्यार करता है तो इसमें गलत क्या है? इस प्यार को जताने के लिए कोई पोस्टर-बैनर लगाने की जरूरत नहीं।
कौन कह रहा है कि आपको मोहम्मद प्यारे नहीं हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत कई बार यह कह चुके हैं कि भारत में इस्लाम जब से आया तब से यहां है और रहेगा। देश में अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकार है, लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि आप मोहम्मद से प्यार मत करो, फिर आप किसको दिखाने के लिए प्यार जता रहे हो?
जाहिर है जब आप इस तरह प्यार जताओगे तो कोई महाकाल के प्रति प्यार दिखाएगा, कोई वाहेगुरु से प्यार जताएगा तो कोई प्रशु ईशू से प्यार का इजहार करेगा।
तकलीफ आपके भगवान से प्यार करने से नहीं है, तकलीफ इसके इजहार करने के तरीके से है। क्या आपको नहीं लगता, जिसने भी आपको इस काम के लिए प्रेरित किया होगा वह इसकी आड़ में सियासत करेगा। फिर आप धर्म के नाम पर सियासत के हाथों कब तक खिलौना बने रहोगे?
यह बात किसी एक धर्म पर लागू नहीं होती। सियासत में हर पार्टियां धर्म का इस्तेमाल करती हैं और यह बात सभी पक्षों को समझनी होगी।
अपने-अपने धर्म से, अपने-अपने भगवान से खूब प्यार करो। इसके लिए पोस्टर-बैनर की जरूरत नहीं है। भगवान को भी आपके प्यार के इजहार का यह तरीका शायद पसंद न आए…
एक बार सोचिएगा जरूर…