विजयादशमी पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा-अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादा सामर्थ्यवान बनना होगा.
नागपुर। विजयादशमी पर आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि पहलगाम की घटना हमें सिखा गई कि हम सबके लिए मित्र भाव रखेंगे, लेकिन फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अधिक सामर्थ्य बनना होगा। इस घटना के बाद कि यह भी पता चला कि दुनिया के देशों में से हमारे दोस्त कौन-कौन हैं। इस समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि ये वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान का साढ़े तीन सौ वर्ष है, जिन्होंने अत्याचार, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से समाज को मुक्त करना के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और समाज की रक्षा की. ऐसी एक विभूति का समरण इस वर्ष होगा। आज 2 अक्टूबर है तो स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती है। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो उसके बारे में विचार देने वाले हमारे उस समय के दार्शनिक नेता स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की आज जयंती है। भक्ति, देश सेवा के वह उत्तम उदाहरण हैं।
पहलगाम हमले का किया जिक्र
संघ प्रमुख ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि यह घटना हमें सिखा गई कि हम सबके लिए मित्र भाव रखेंगे, लेकिन फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अधिक सामर्थ्य बनना होगा। मोहन भागवत ने कहा कि प्रयागराज कुंभ का जिक्र कर कहा कि इसी साल संगम के तट पर जबरदस्त कुंभ हुआ। पूरे देश में श्रद्धा की लहर फैला दी। पहलगाम में सीमा पार के आतंकियों का हमला हुआ 26 भारतीयों का उनका धर्म पूछकर हत्या की, उसके कारण देश में दुख की लहर पैदा हुई, पूरी तैयारी करके सेना ने सरकार ने पुरजोर उत्तर दिया।
स्वदेशी चीजों पर दिया जोर
संघ प्रमुख ने कहा कि आज दुनिया के देश भारत की तरफ देख रहे हैं। हम हर बीतते दिन के साथ और अधिक मजबूत हो रहे हैं। समय आ गया है जब हम स्वदेशी के इस्तेमाल को और बढ़ावा दें। स्वदेशी का उपयोग हमारे लिए मजबूरी नहीं बल्कि हमारा अधिकार है। संघ प्रमुख ने संघ के 100 साल पूरा होने और दशहरा के खास मौके पर कहा कि आज का दिन बेहद खास है। आज जहां राष्ट्रपति महात्मा गांधी की जयंती है वहीं आज दशहरा भी है। साथ-साथ ही संघ अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है। ये तीनों चीजें साथ मिलकर इस दिन को बेहद खास बनाती है।