आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया फिर तीन संतान पर जोर, भाजपा से संबंधों को लेकर बोले-संघ नहीं लेता उनके फैसले.
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली में 100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज का आयोजन किया गया है। इसके तीसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर मीडिया से चर्चा की। जनसंख्या नीति पर संघ प्रमुख कहा कि हम दो और हमारे तीन की नीति होनी चाहिए। भाजपा से संघ के संबंधों पर उन्होंने कहा कि संघ भाजपा के फैसले नहीं लेता।
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि दुनिया में सब शास्त्र कहते हैं कि जन्म दर तीन से कम जिनका होता है वो धीरे धीरे लुप्त हो जाते हैं। डॉक्टर लोग मुझे बताते हैं कि विवाह में बहुत देर न करने और तीन संतान करने से माता-पिता और संतानों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को ये देखना चाहिए कि अपने घर में तीन संतान होने चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर कहते हैं कि तीन संतान होने से माता-पिता का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। बच्चे आपस में ईगो मैनेजमेंट सीख लेते हैं, झगड़े नहीं होते। भागवत ने कहा कि देश का एवरेज 2.1 है, गणित में होता है, लेकिन मनुष्यों में 2.1 का मतलब तीन।
सरकार के साथ कोई विवाद नहीं
संघ प्रमुख ने कहा कि हमारा हर सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों, दोनों के साथ अच्छा समन्वय है। लेकिन कुछ व्यवस्थाएं ऐसी भी हैं, जिनमें कुछ आंतरिक विरोधाभास हैं। कुल मिलाकर व्यवस्था वही है, जिसका आविष्कार अंग्रेजों ने शासन करने के लिए किया था। इसलिए, हमें कुछ नवाचार करने होंगे। फिर, हम चाहते हैं कि कुछ हो। भले ही कुर्सी पर बैठा व्यक्ति हमारे लिए पूरी तरह से समर्पित हो, उसे यह करना ही होगा और वह जानता है कि इसमें क्या बाधाएं हैं। वह ऐसा कर भी सकता है और नहीं भी। हमें उसे वह स्वतंत्रता देनी होगी। कहीं कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सच नहीं है कि आरएसएस भाजपा के लिए फैसले लेता है। भागवत ने कहा कि हमारे यहां मत भेद हो सकता है, लेकिन मन भेद नहीं है। यह पूरी तरह से गलत है कि संघ सब कुछ तय करता है। संघ प्रमुख ने कहा कि मैं कई सालों से संघ चला रहा हूं और वे सरकार चला रहे हैं। इसलिए हम केवल सलाह दे सकते हैं, निर्णय नहीं ले सकते।