पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में साझा की निजी बातें, कहा-लाल चौक पर तिरंगा फहराने के बाद पहला फोन मां को किया था.


नई दिल्ली। पीएम मोदी ने एक पॉडकास्ट में अपने मन की बातें साझा की हैं। बचपन के दोस्तों से लेकर राजनीति तक की बातें करते हुए उन्होंने श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगा फहराने का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि मैं जब श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराने गया था। पंजाब में हमारी यात्रा पर अटैक हुआ था। 5-6 लोग मारे गए थे। लाल चौक पर उस समय तिरंगा फहराना भी मुश्किल था। तिरंगा झंडा फहराने के बाद हम जम्मू आए. जम्मू से पहला फोन मां को किया।
पीएम मोदी ने कहा कि अब उनका कोई दोस्त नहीं है, ऐसा भी कोई नहीं है जो उन्हें 'तू' कहकर बुलाए। निखिल कामत के साथ पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने बताया कि उनके एक टीचर थे जो उन्हें चिट्ठी लिखते थे तो हमेशा तू कहकर बुलाते थे, लेकिन अब वह नहीं रहे। टीचर का नाम रासबिहारी मणियार था और जब भी वह चिट्ठी लिखते थे तो हमेशा तू लिखते थे, लेकिन उनका हाल ही में 94 साल की उम्र में निधन हो गया। पीएम मोदी ने बताया कि रासबिहारी मणियार ही इकलौते व्यक्ति थे जो उन्हें तू कहकर संबोधित करते थे।
बचपन के दोस्तों में भी नहीं मिला दोस्त
पीएम मोदी से जब बचपन के दोस्तों के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरा केस थोड़ा विचित्र है, बहुत छोटी आयु में घर छोड़ दिया। मतलब सबकुछ छोड़ दिया किसी से संपर्क नहीं था तो बहुत गैप हो गया। जब मैं सीएम बना तो मेरे मन में कुछ इच्छाएं जगीं. एक इच्छा ये जगी कि मेरे क्लास के जितने दोस्त हैं पुराने, सबको में सीएम हाउस में बुलाऊंगा। 35-36 लोग इकट्ठा हुए थे और रात को खान खाया, गपशप मारे और बचपन की यादें ताजा कीं, लेकिन मुझे आनंद नहीं आया, क्योंकि मैं दोस्त खोज रहा था और उन्हें सीएम दिख रहा था। तो वो खाई पटी नहीं।
भाषण कला से ज्यादा जरूरी है संवाद
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भाषण कला से ज्यादा जरूरी है संवाद। महात्मा गांधी डंडा रखते थे लेकिन अहिंसा की बात करते थे। महात्मा जी ने कभी टोपी नहीं पहनी लेकिन पूरी दुनिया गांधी टोपी पहनती थी, ये उनके संवाद की ताकत थी। उनका क्षेत्र राजनीति जरूर था लेकिन राजव्यवस्था नहीं थी। न वे चुनाव लड़े न सत्ता में आए लेकिन मृत्यु के बाद जो जगह मिली उसका नाम राजघाट पड़ा।
राजनीति मे नेशन फर्स्ट होता है
पीएम मोदी ने कहा कि लेना, पाना और बनना ये मकसद है तो उसकी उम्र लंबी नहीं है। राजनीति में पहली ट्रेनिंग है खुद को खपा देने की। राजनीति में मैं या मेरा नहीं होता है। यहां पर नेशन फर्स्ट होता है। यह बहुत बड़ा फर्क है। उन्होंने कहा कि समाज भी नेशन फर्स्ट वाले व्यक्ति को भी स्वीकार करता है। पीएम मोदी ने कहा कि भाषण कला से अधिक महत्वपूर्ण है संवाद। आप कैसे संवाद करते हैं। पीएम मोदी का उदाहरण दिया।
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