एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर के दावे ने खोली मालेगांव ब्लास्ट की जांच की पोल, मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के थे आदेश.
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में कल ही कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। अब मामले की जांच करने वाले महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के एक पूर्व निरीक्षक महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए थे।
कोर्ट के फैसले के बाद महबूब मुजावर ने कहा कि भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश का उद्देश्य भगवा आतंकवाद को स्थापित करना था। अदालत के फैसले ने एटीएस के फर्जीवाड़े को नकार दिया है। शुरू में एटीएस ने मामले की जांच की थी, लेकिन बाद में यह मामला एनआईए के पास आ गया था। मुजावर ने एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम लेते हुए कहा कि इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी की तरफ की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट की जांच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा थे, जिसमें छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें मोहन भागवत को पकड़ने के लिए कहा गया था। उन्होंने आगे कहा कि मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की और क्यों लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि उनका पालन किया जा सके। उन्होंने उनका पालन नहीं किया क्योंकि उन्हें हकीकत पता थी। मुजावर ने कहा कि चूंकि मैंने आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिए मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया और इसने मेरे 40 साल के करियर को बर्बाद कर दिया।