Published On :
15-Apr-2025
(Updated On : 15-Apr-2025 06:03 am )
इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर खतरा: Meta पर एंटीट्रस्ट ट्रायल, अलगाव की तलवार लटकी.
Abhilash Shukla
April 15, 2025
Updated 6:03 am ET
इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर खतरा: Meta पर एंटीट्रस्ट ट्रायल, अलगाव की तलवार लटकी
टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी Meta (पूर्व में Facebook) इस समय एक ऐतिहासिक एंटीट्रस्ट ट्रायल का सामना कर रही है, जो कंपनी को Instagram और WhatsApp को अलग करने के लिए मजबूर कर सकता है। ये दोनों प्लेटफॉर्म अब Meta के सबसे बड़े बिजनेस पिलर बन चुके हैं, जिन्हें करीब एक दशक पहले अधिग्रहित किया गया था।
यह मुकदमा डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान 2020 में शुरू हुआ था। फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने Meta पर आरोप लगाया कि उसने Instagram और WhatsApp को इस मकसद से खरीदा कि प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाए और सोशल मीडिया पर कंपनी का एकाधिकार कायम हो सके।
FTC का कहना है कि Facebook ने मार्क जकरबर्ग की रणनीति "प्रतिस्पर्धा से बेहतर है खरीदना" पर चलते हुए उन उभरती कंपनियों को खरीदा, जो भविष्य में उसे चुनौती दे सकती थीं।
Instagram को 2012 में करीब 1 बिलियन डॉलर में खरीदा गया, जब यह एक छोटी फोटो-शेयरिंग ऐप थी।
WhatsApp को 2014 में 22 बिलियन डॉलर में अधिग्रहित किया गया।
इन दोनों अधिग्रहणों ने Facebook को मोबाइल यूजर्स के बीच, खासकर युवा वर्ग में, फिर से लोकप्रिय बना दिया।
Meta की दलील और संभावित असर
Meta का कहना है कि FTC का दावा "हकीकत से परे" है और आज Instagram, WhatsApp और Facebook जैसे प्लेटफॉर्म्स TikTok, YouTube, iMessage और X (पूर्व Twitter) जैसी सेवाओं के साथ बराबरी की प्रतिस्पर्धा करते हैं।
हालांकि, अगर कोर्ट का फैसला Meta के खिलाफ जाता है, तो कंपनी को Instagram और WhatsApp को अलग करना पड़ सकता है।इससे Meta की कमाई पर बड़ा असर पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक Instagram अकेला अमेरिका में Meta की 50.5% एड रिवेन्यू का स्रोत बनने जा रहा है।
तकनीकी जगत के लिए मील का पत्थर
विशेषज्ञों का मानना है कि आज सोशल मीडिया के मैदान में TikTok, Snapchat और YouTube जैसे कई बड़े खिलाड़ी मौजूद हैं, जिससे FTC के लिए Meta का एकाधिकार साबित करना आसान नहीं होगा।
यह मुकदमा केवल Meta के लिए नहीं, बल्कि पूरी टेक इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि Google और Amazon जैसी कंपनियां भी इसी तरह के एंटीट्रस्ट मामलों का सामना कर रही हैं।