Published On :
04-Jan-2025
(Updated On : 04-Jan-2025 11:34 am )
भारत-पाक संबंधों पर फिर गहराया विवाद: पाकिस्तान ने रिश्तों में सुधार के लिए दोतरफा प्रयास की वकालत की.
Abhilash Shukla
January 4, 2025
Updated 11:34 am ET
भारत-पाक संबंधों पर फिर गहराया विवाद: पाकिस्तान ने रिश्तों में सुधार के लिए दोतरफा प्रयास की वकालत की
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत के साथ संबंध सुधारने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि रिश्तों को बेहतर करने के लिए दोनों पक्षों की भागीदारी आवश्यक है और इसे एकतरफा नहीं किया जा सकता। साथ ही, उन्होंने भारत के साथ संबंधों को सुधारने में मदद करने के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाने की अपील की।
पाकिस्तान की मांग और पुराने विवाद
इशाक डार ने कहा कि पाकिस्तान को परमाणु शक्ति से आर्थिक शक्ति बनाने के लिए प्रयास जारी हैं और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का भी प्रयास हो रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता को इन प्रयासों का हिस्सा बताया।
हालांकि, भारत-पाकिस्तान के संबंध 2019 के पुलवामा हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से गंभीर तनाव में हैं। इसके बाद भारत द्वारा अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से स्थिति और खराब हुई। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को आतंकवाद और दुश्मनी मुक्त माहौल बनाने की जरूरत है, तभी रिश्ते सामान्य हो सकते हैं।
जयशंकर का पाकिस्तान दौरा और प्रतिक्रिया
15-16 अक्तूबर को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया। यह नौ साल में किसी भारतीय विदेश मंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा थी। जयशंकर से पहले, दिसंबर 2015 में सुषमा स्वराज ने अफगानिस्तान पर एक कॉन्फ्रेंस के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने इस दौरे को "जमी बर्फ पिघलाने वाला" करार दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी पक्ष ने द्विपक्षीय बैठक का अनुरोध नहीं किया। पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी जयशंकर के दौरे को सकारात्मक कदम बताया।
भारत का रुख
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह पड़ोसी पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की इच्छा रखता है। लेकिन इसके लिए इस्लामाबाद को आतंकवाद और हिंसा मुक्त माहौल सुनिश्चित करना होगा।
क्या रिश्तों में सुधार की संभावना है?
पाकिस्तान की हालिया बयानबाजी और भारत के साथ सकारात्मक संबंध बनाने की इच्छा के बावजूद, पुराने विवाद और आपसी अविश्वास के चलते यह सवाल बरकरार है कि दोनों देशों के रिश्ते कितने जल्दी सुधर सकते हैं। वर्तमान परिस्थितियों में, किसी ठोस पहल या नीतिगत बदलाव के बिना रिश्तों में बड़ा सुधार संभव नहीं लगता।