बोतलबंद पानी से बढ़ रहा माइक्रोप्लास्टिक का खतरा
शोध का बड़ा खुलासा
कनाडा में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि बोतलबंद पानी पीने वाले लोग नल का पानी पीने वालों की तुलना में सालाना 90,000 अतिरिक्त माइक्रोप्लास्टिक कण निगलते हैं।

शरीर पर असर
- ये सूक्ष्म कण खून में घुलकर दिल, दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकते हैं।
- प्लास्टिक बोतलों से निकलने वाले रसायन सूजन, हार्मोनल असंतुलन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- विशेषज्ञों का मानना है कि असली खतरा लंबे समय तक जमा होने वाले जहर से है।
आंकड़े और तुलना
- कॉनकॉर्डिया यूनिवर्सिटी, मांट्रियल (कनाडा) के अध्ययन के अनुसार, औसतन हर व्यक्ति सालाना 52,000 माइक्रोप्लास्टिक कण निगलता है।
- बोतलबंद पानी पीने वालों में यह संख्या 90,000 अतिरिक्त कणों तक पहुंच जाती है।
- इनका आकार 1 माइक्रोन से 5 मिलीमीटर तक पाया गया।
स्रोत और कारण
- प्लास्टिक बोतलें निर्माण, भंडारण, धूप और तापमान के प्रभाव से टूटकर माइक्रोप्लास्टिक छोड़ती हैं।
- जांच में 10% से 78% बोतलबंद पानी के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक, फथलेट्स और बिस्फेनॉल-ए (BPA) जैसे हानिकारक रसायन पाए गए।
संभावित स्वास्थ्य जोखिम
- हृदय रोग
- मधुमेह और मोटापा
- प्रजनन क्षमता में कमी और दिमागी नुकसान
- कैंसर
सुरक्षित विकल्प
प्लास्टिक बोतलों के बजाय:
- स्टेनलेस स्टील
- कांच
- एल्युमिनियम की बोतलें
ये लंबे समय तक टिकती हैं और इनमें से हानिकारक रसायन नहीं रिसते।