दिलजीत दोसांझ की फिल्म 'सरदार जी 3' विवादों में घिरी, पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर विरोध तेज.


दिलजीत दोसांझ की फिल्म 'सरदार जी 3' विवादों में घिरी, पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर विरोध तेज
दिलजीत दोसांझ की अपकमिंग पंजाबी फिल्म 'सरदार जी 3' पर रिलीज से पहले ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं। फिल्म में पाकिस्तानी कलाकारों की मौजूदगी को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों तक तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
भाजपा चित्रपट कामगार आघाड़ी ने की फिल्म पर रोक की मांग
महाराष्ट्र के भाजपा चित्रपट कामगार आघाड़ी संघ ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि 'सरदार जी 3' में पाकिस्तानी अभिनेत्री हानिया आमिर, नासिर चिन्योटी, डैनियल खावर और सलीम अलबेला जैसे कलाकारों को शामिल किया गया है, जो राष्ट्र की भावनाओं और सुरक्षा बलों के सम्मान के खिलाफ है।
संघ का कहना है जब पाकिस्तान भारत के खिलाफ खुले तौर पर नफरत फैलाता है, तो उसके कलाकारों को भारत में काम देना राष्ट्र के प्रति अनादर है।"
CBFC से सर्टिफिकेट न देने की मांग
संघ ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से फिल्म को सर्टिफिकेट न देने की मांग की है। उनका मानना है कि ऐसे समय में जब सीमा पर जवान शहीद हो रहे हैं और पाकिस्तान सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ ज़हर उगल रहा है, तो किसी भी प्रकार का सांस्कृतिक सहयोग असंवेदनशील और अपमानजनक है।
पिछली फिल्मों की सफलता के बाद तीसरे भाग पर संकट
दिलजीत दोसांझ की 'सरदार जी' सीरीज़ की पिछली दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थीं और दर्शकों का भरपूर प्यार भी मिला था। ऐसे में 'सरदार जी 3' को लेकर भी फैंस में उत्साह था, लेकिन मौजूदा विवाद ने फिल्म के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है।
फिल्म टीम की ओर से अब तक चुप्पी, विरोध जारी
फिलहाल, फिल्म की टीम की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन संघ ने चेतावनी दी है कि अगर बिना किसी कार्यवाही के फिल्म रिलीज की गई, तो वे व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
अब सरकार और सेंसर बोर्ड के रुख पर टिकी नजरें
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और CBFC इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या फिल्म को सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिलेगी, या विरोध को देखते हुए कोई कार्रवाई की जाएगी—इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
‘सरदार जी 3’ जहां एक ओर फैंस के लिए बहुप्रतीक्षित फिल्म है, वहीं दूसरी ओर यह अब राष्ट्रीय भावना और सांस्कृतिक नीति का मुद्दा बन चुकी है। आने वाले दिनों में इसका भविष्य फैसलों और विरोधों की दिशा पर निर्भर करेगा।