वाह भाई वाह, जान आपकी, चिन्ता कोई और करे, फिर भी विरोध….


इंदौर में एक बार फिर हेलमेट अनिवार्य करने का विरोध शुरू हो गया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने बिना हेलमेट पहने वाहन चालकों को पेट्रोल पंपों से पेट्रोल नहीं देने का आदेश दिया है। इसके बाद से पूरा शहर विरोध में उतर आया है। सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। सड़कों के गड्ढों से लेकर हर तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।
यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर कलेक्टर किसकी जान की परवाह कर रहे हैं। क्या हेलमेट अनिवार्य करने से प्रदेश सरकार का रेवन्यू बढ़ जाएगा या कलेक्टर की जेब में पैसे आ जाएंगे। देश में कई शहर ऐसे हैं जहां वर्षों से दोपहिया पर पीछे बैठने वालों तक के लिए हेलमेट अनिवार्य है। दिल्ली में तो शायद इस बात के 40 साल से ज्यादा हो गए होंगे। देश के कई शहरों के लोग बिना पुलिस-प्रशासन के दबाव के स्वेच्छा से भी हेलमेट लगाते हैं, फिर इंदौर में ही विरोध क्यों होता है? बार-बार होता है, हर बार होता है।
क्या आपको पता नहीं है कि रोड एक्सीडेंट के सबसे ज्यादा शिकार दोपहिया वाहन चालक होते हैं और इनमें से अधिकांश मौतों का कारण हेड इन्ज्यूरी होती है। क्या आपको यह भी नहीं पता कि हेलमेट आपके सिर की सुरक्षा करता है। फिर आप अपना सिर खुद ही क्यों ओखल में देना चाहते हैं?
लोग कहते हैं कि हेलमेट पहनने से आजू-बाजू देखने में दिक्कत आती है। अरे भाई, नया चश्मा पहनने पर भी गाड़ी चलाने और चलने में दिक्कत आती है। थोड़े दिन पहनने के बाद सब ठीक हो जाता है। हेलमेट के साथ भी ऐसा ही है। जो लोग नियमित हेलमेट पहनते हैं, जरा उनसे पूछिए। बारिश, धूप, ठंड में कितनी राहत मिलती है।
एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2020 से लेकर 2024 तक के बीच इंदौर में 4249 एक्सीडेंट प्रतिवर्ष हुए हैं। इसमें हर साल 579 लोग जान गंवा चुके हैं। इसके साथ ही 3577 लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। एक अनुमान के अनुसार रोड एक्सीडेंट में लगभग 33 प्रतिशत मौतें हेलमेट न पहनने के कारण हुई हैं। क्या इन आंकड़ों के बावजूद आप मौत को बुलावा देना चाहते हैं?
जरा सोचिए, कलेक्टर का फैसला आपकी जान को लेकर है। विरोध की बजाए शुक्र मनाइए कि इसी बहाने आप हेलमेट पहनना सीख जाएंगे और खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे।
इस फैसले का विरोध छोड़िए, खुद के हित में हेलमेट पहनिए, विरोध के लिए तो और भी कई मुद्दे हैं…