यूं ही नहीं मिला शिवम वर्मा को सीएम मोहन यादव का ‘आशीष’, सिंहस्थ की तैयारियों के लिए ऐसे ही अधिकारी हैं जरूरी.


इंदौर। नगर निगम इंदौर में सारी विपरित परिस्थितियों के बाद भी अच्छा काम कर रहे शिवम वर्मा को सीएम डॉ.मोहन यादव का आशीष मिला है। चूंकि सिंहस्थ की तैयारियां चल रही हैं और इसकी मुख्य कड़ी इंदौर और उज्जैन ही हैं। 2028 का सिंहस्थ सीएम की प्रतिष्ठा का सवाल है, क्योंकि वे उज्जैन से ही आते हैं। इसीलिए सीएम ने इन दोनों शहरों तक फोकस कर रखा है।
इंदौर कलेक्टर रहते समय ही आशीष सिंह को सीएम ने सिंहस्थ मेला का प्रभार सौंप दिया था। इससे ही स्पष्ट हो गया था कि अब सिंहस्थ की कमान तो आशीष सिंह के पास ही रहनी है। आशीष सिंह उज्जैन कलेक्टर भी रह चुके हैं और उस दौरान उनके किए कामों से सीएम संतुष्ट रहे हैं। यही वजह है कि दोनों के बीच अच्छी केमिस्ट्री बन चुकी है। जाहिर है आशीष सिंह का उज्जैन जाना तय था, लेकिन उनके बदले इंदौर में एक ऐसे अधिकारी की जरूरत थी जो न केवल प्रशासन में कसावट रखे, बल्कि सभी विभागों से समन्वय बनाकर सिंहस्थ तक इंदौर को पूरी तरह से तैयार कर ले।
इस ‘आशीष’ में आशीष का भी हाथ
सूत्र बताते हैं कि शिवम वर्मा को मिले इस ‘आशीष’ में आशीष सिंह का भी हाथ है। कहा जा रहा है कि जब सीएम ने सिंहस्थ की तैयारियों को लेकर चिन्ता व्यक्त करते हुए आशीष सिंह को उज्जैन जाने का कहा था, तब इंदौर कलेक्टर को लेकर भी चर्चा हुई थी। आशीष सिंह ने ही शिवम वर्मा का विकल्प दिया था।
फिर इंदौर आएंगे आशीष सिंह
आशीष सिंह पहले इंदौर में नगर निगम कमिश्नर थे। इसके बाद उज्जैन कलेक्टर बने। वहां से फिर इंदौर कलेक्टर बन कर आ गए। पिछले काफी समय से आशीष सिंह का तबादला चक्र इंदौर और उज्जैन के बीच घूम रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सिंहस्थ के सफल आयोजन के बाद आशीष सिंह को पुरस्कार के रूप में फिर इंदौर संभागायुक्त की कुर्सी मिल सकती है।
शिवम वर्मा से अच्छा विकल्प कहां मिलता
इंदौर में जब शिवम वर्मा निगम कमिश्नर बनकर आए थे, तब की हालत याद कर लीजिए। सफाई व्यवस्था पटरी से उतर चुकी थी। नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के कामकाज का ढर्रा बिगड़ चुका था। वर्मा ने इसको दुरूस्त करने की ठान ली। हर दिन सुबह-सुबह जब निगम के अधिकांश अधिकारी नींद में रहते थे, शिवम वर्मा मैदान संभाल लेते थे। शुरू में सबको अटपटा लगा। विरोध भी हुआ। यहां तक कि सुबह के दौरे की खबरें तक मीडिया में नहीं आती थीं। धीरे-धीरे जब लोगों को समझ में आ गया कि अब तो इसी व्यवस्था के साथ काम करना है, लोग भी शिवम वर्मा के पीछे हो गए।
आठवीं बार सफाई में नंबर वन ले आए
नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी से लेकर शहर के लोगों का भी यही कहना था कि इस बार सफाई में इंदौर फिसड्डी साबित होगा। वर्मा ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। वर्तमान में उज्जैन नगर निगम कमिश्नर अभिलाष मिश्रा को अपर आयुक्त बनाकर इंदौर लाया गया। फिर बिना किसी राजनीतिक सपोर्ट के शिवम वर्मा और अभिलाष मिश्रा ने इंदौर को आठवीं बार नंबर वन का खिताब दिला ही दिया। ऐसे में इंदौर को कलेक्टर के रूप में एक ईमानदार, मेहनती और दृढ़ निश्चयी अधिकारी की ही जरूरत थी और शिवम वर्मा में यह सारे गुण थे।
नियमों से परे जाकर नहीं लिया फैसला
नगर निगम में जब तक शिवम वर्मा रहे उनके कई फैसलों का विरोध हुआ, लेकिन उन्होंने शहर और निगम के हित में कोई समझौता नहीं किया। जो नियमानुसार जायज था, वही हुआ। आज तक किसी निगम कमिश्नर ने तीन करोड़ खाकर बैठे यशवंत क्लब की नपती करानी की हिम्मत नहीं की, लेकिन शिवम वर्मा ने किया। हाल ही में जब रीजनल पार्क को काफी कम दर पर गलत हाथों में सौंपने की तैयारी थी, तब भी शिवम वर्मा की ही हिम्मत थी, जो टेंडर निरस्त कर फिर से डीपीआर बनाने के आदेश दिए।
पहले दिन से ही संभाल लिया मोर्चा
पदभार ग्रहण करने के बाद शिवम वर्मा ने कहा कि इंदौर को अब स्वच्छता के साथ अन्य मोर्चों पर भी बेहतर बनाने के लिए काम करना है। ट्रैफिक जाम, प्रदूषण, सड़कों आदि के निर्माण कार्य तेजी से पूरे करवाना प्राथमिकता है। इसके साथ सिंहस्थ से जुड़े कार्यों को भी जल्द ही जमीन पर उतारा जाएगा। आज मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई थी। आशीष सिंह अपना चार्ज देकर उज्जैन रवाना हो गए, इधर शिवम वर्मा सारा काम छोड़कर जनसुनवाई में जुट गए। वर्मा ने कार्यालय पहुंचते ही सीढ़ियों पर बैठी एक बुजुर्ग महिला को देखा और तुरंत उसके पास जाकर हालचाल पूछा। उन्होंने महिला का हाथ थामा, सहारा दिया और जनसुनवाई कक्ष तक लेकर गए। जाहिर है वर्मा के आने से अब प्रशासन में भी कसावट नजर आएगी।