महू में बोले रक्षामत्री राजनाथ सिंह-बाबा साहब की जन्मस्थली होने के कारण यह हमारे लिए किसी पुण्यभूमि से कम नहीं.


-नितिन जैन
इंदौर। महू अन्य कारणों से बहुत ही महत्व रखता है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली होने के कारण मैं यह मानता हूं कि यह हम सबके लिए किसी पुण्यभूमि से कम नहीं है। इसके अलावा भी यह क्षेत्र कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस केन्टोनमेंट को स्थापित हुए दो सौ वर्षों से ज्यादा का समय गुजर चुका है। इतने लंबे कालखंड से महू कैन्टोनमेंट लगातार हमारी आर्म फोर्स का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।
यह बात रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को महू इंफ्रेंटी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में कही। रक्षा मंत्री के साथ चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ उपेंद्र द्विवेदी भी थे। इसके पहले वे डॉ. भीमराव आंबेडकर जन्मभूमि स्मारक पर पहुंचे, जहां उन्होंने डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ ही अस्थि कलश के दर्शन किए। रक्षामंत्री ने कहा कि महू में एक लंबे समय से आर्मी वार कॉलेज, इंफेंट्री स्कूल और मिलेट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग भी लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अपनी स्थापना के समय से ही, ये संस्थान भारतीय सेनाओं के ऑफिसर और जवानों को, मिलेट्री रणनीति और युद्ध कौशल में पारंगत बना रहे हैं।
आपका समर्पण हम सबके लिए प्रेरणा
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज इस अवसर पर, मैं राष्ट्र के प्रति आप सभी की सेवा के लिए भी, आपका आभार प्रकट करना चाहता हूं। आपका समर्पण और आपकी कर्तव्यनिष्ठा, हम सबके लिए प्रेरणा का काम करती है। यह आपकी मेहनत और प्रतिबद्धता ही है, जिस वजह से हमारा देश और इसकी सीमाएं लगातार सुरक्षित और सशक्त हो रही हैं। मुझे सबसे ज्यादा जो बात अपील करती है, वह है कर्म के प्रति आपकी निष्ठा। जिस प्रकार से आप, हर चीज से ऊपर उठकर, केवल राष्ट्र सेवा को ही अपना कर्म मानकर, निरंतर लगे हुए हैं, शायद इसी को निष्काम कर्म कहा गया है। आपका यह निष्काम कर्म ही है, जिसने हमारी सेना को एक अलग ही मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है।
2047 तक भारत को बनाएंगे आत्मनिर्भर
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक, भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया जाए। इस लक्ष्य की प्राप्ति में, सेना की भूमिका बेहद अहम है। आप केवल सीमाओं के रक्षक ही नहीं हैं, बल्कि आप इस राष्ट्र के निर्माण के अग्रदूत भी हैं। आपके युवा और मजबूत कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आपको एक तरफ तो, हमारी सीमाओं का भार संभालना है, वहीं दूसरी तरफ, विकसित भारत के निर्माण की नींव भी रखनी है। मुझे विश्वास है कि, लोहे के समान आपके ये मजबूत कंधे, इस राष्ट्र के निर्माण का भार, बेहद आसानी से वहन करेंगे।
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