वन नेशन वन इलेक्शन पर जेपीसी की पहली बैठक, सूटकेस में सदस्यों को दी गई 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट.


नई दिल्ली। वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर गठित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की पहली बैठक बुधवार को हुई। बैठक में सदस्यों को सूटकेस में 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी गई। सत्तारुढ दल के सांसदों ने इसे जहां देश की जरूरत बताया, वहीं विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे राज्यों का अधिकार छिन जाएगा।
बैठक में कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही बिल के प्रावधानों के बारे में भी समिति के सदस्यों को अवगत करवाया। बैठक के बाद समिति के तमाम सदस्यों को एक बड़े सूटकेस में 18,000 से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज भी सौंपे गए। समिति के सदस्यों से कहा गया कि इसमें वह तमाम दस्तावेज हैं जो इस बिल को लाने की वजह और इसको कैसे लागू किया जा सकता है उससे जुड़ी जानकारियां देंगे।
सत्ता पक्ष के सांसदों ने समर्थन में रखी बात
बिल का समर्थन करने वाले सांसदों ने कहा कि 1967 तक जब देश में एक साथ एक चुनाव हो सकते थे तो उस पर अब क्यों आपत्ति की जा रही है। अगर 1967 तक वह राज्यों के अधिकार छीनने वाला कानून नहीं था तो फिर अब उसको राज्यों के अधिकार में हस्तक्षेप वाला बिल क्यों कहा जा रहा है? 1957 का उदाहरण देते हुए कहा गया कि 1957 में 6-7 विधानसभाओं के कार्यकाल को समय से पहले भंग कर एक साथ चुनाव करवाए गए थे। उस दौरान संविधान सभा के अध्यक्ष देश के राष्ट्रपति पद पर आसीन थे। बैठक के दौरान महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों का उदाहरण भी दिया गया. जहां पर विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के कुछ महीनो के अंदर होते हैं। विधानसभा चुनाव के कुछ ही महीने बाद मुंबई महानगरपालिका जैसे चुनाव करवाए जाते हैं यानी साल भर चुनाव ही चलते रहते हैं।
कांग्रेस, डीएमके और टीएमसी ने किया विरोध
बैठक के दौरान कांग्रेस, डीएमके और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित कानून संविधान के विपरीत हैं और इसके मूल ढांचे के साथ-साथ संघवाद पर भी हमला हैं। टीएमसी के एक सांसद ने कहा कि लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखना पैसे बचाने से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। कुछ विपक्षी सांसदों ने मांग की कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति को दोनों विधेयकों की जांच करने के लिए कम से कम एक साल का कार्यकाल दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह काम बहुत बड़ा है।
प्रियंका गांधी ने पूछा-कितने पैसों की बचत होगी
बताया जाता है कि बैठक में वायनाड की कांग्रेस सांसद और समिति की सदस्य प्रियंका गांधी ने एक देश एक चुनाव पर कहा की सरकार को यह भी बताना चाहिए कि अगर देश में सारे चुनाव एक साथ होते हैं तो उससे पैसे की बचत कैसे होगी? अगर देश भर के चुनाव एक साथ होने हैं तो क्या उसके लिए ईवीएम उपलब्ध हैं?
18 दिसंबर को हुआ था पेश
वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक 18 दिसंबर 2024 को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में संविधान पेश किया था। इसके बाद विधेयकों को समीक्षा के लिए जेपीसी के पास भेज दिया गया था। इस पैनल में लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य हैं।
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