भोपाल में कुमारी शैलजा ने सरकार पर साधा निशाना, कहा-मोदी और शाह ने नेशनल हेराल्ड केस में झूठा प्रचार किया.


भोपाल। नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी द्वारा चार्जशीट पेश करने के बाद से कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। आज भोपाल में राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि जब पैसा ही नहीं है तो इसमें लॉन्ड्रिंग कहां है? अगर कोई अपराध हुआ है तो वह दो मास्टरमाइंड ने किया है, मोदी जी और अमित शाह, जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा प्रचार करके कानून का दुरुपयोग किया है।
कुमारी शैलजा ने कहा कि भाजपा और सरकार द्वारा मीडिया में भ्रम फैलाया जा रहा है। भाजपा-संघ का मानना है कि एक बात को तब तक बोलते रहो, जब तक लोग सच न मान लें। कितना भी गलत बोलेंगे लोग आखिरकार उसे सच मानने लग जाएंगे। कुछ बातें ऐसी हैं जिनको लेकर ये सालों से लगे हैं फिर भी निचोड़ नहीं निकल रहा। इनका प्रयास लोगों के असली मुद्दे ध्यान हटाना है।
कुमारी शैलजा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला देश के सामने मौजूद ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने और देश को गुमराह करने के लिए भाजपा की साजिश है। ये सरासर एक राजनीतिक प्रतिशोध है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र कुछ और नहीं बल्कि जनता का ध्यान बेरोजगारी, गिरती जीडीपी और सामाजिक अशांति से भटकाने, जनता को भ्रमित करने और बरगलाने के लिए गढ़ा गया एक झूठ है।
बिना पैसे के बनाया मनी लॉन्ड्रिंग का केस
शैलजा ने कहा कि यह कानूनी प्रतिशोध के अलावा कुछ और नहीं है। अगर कोई कंपनी कर्ज से छुटकारा पाना चाहती है तो वह एक नई कंपनी बनाती है और उस कर्ज को नई कंपनी में ट्रांसफर करती है। कंपनी कानून के मुताबिक यह कानूनन सही है। जब पैसा ही नहीं है तो इसमें लॉन्ड्रिंग कहां है? अगर कोई अपराध हुआ है तो वह दो मास्टरमाइंड ने किया है, मोदी जी और अमित शाह, जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा प्रचार करके कानून का दुरुपयोग किया है।
भय फैलाने की राजनीति का आरोप
कुमारी शैलजा ने इसे धमकी, उत्पीड़न और भय फैलाने की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि हमें कितना भी चुप कराने की कोशिश करें, हम चुप नहीं होंगे। जो दूसरों को डराने की कोशिश करते हैं, वे खुद डरे हुए हैं। यह एक राजनीतिक साजिश है और कांग्रेस पार्टी इसका डटकर सामना करेगी।
1942 में अंग्रेजों ने लगा दिया था प्रतिबंध
कुमारी शैलजा ने प्रेस कान्फ्रेंस में नेशनल हेराल्ड से जुड़े तथ्य भी रखे। उन्होंने बताया कि 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरु ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से लड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरु किया। इसके हिंदी और उर्दू संस्करण नवजीवन और कौमी आवाज़ शीर्षक से प्रकाशित हुए। इस अखबार के पीछे महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पुरुषोत्तम दास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव और रफ़ी अहमद किदवई थे। अंग्रेजों को इस अखबार से इतना खतरा महसूस हुआ कि उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नेशनल हेराल्ड पर प्रतिबंध लगा दिया और यह प्रतिबंध 1945 तक चला।
अखबार के प्रबंधन के लिए बनी थी एजेएल
शैलजा ने बताया कि अखबार का प्रबंधन करने के लिए, 1937-38 में एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) का गठन किया गया था। ऐसी कंपनी लाभांश वितरित नहीं कर सकती, वेतन नहीं दे सकती या शेयरधारकों के लिए लाभ नहीं कमा सकती। इसके शेयर व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बेचे जा सकते और अगर हस्तांतरित किए जाते हैं, तो उन्हें केवल किसी अन्य गैर-लाभकारी कंपनी को ही जाना चाहिए। एजेएल के पास छह शहरों दिल्ली, पंचकूला, मुंबई, लखनऊ, पटना और इंदौर में अचल संपत्तियां हैं, लेकिन केवल लखनऊ में ही इसकी संपत्ति है। अन्य सभी संपत्तियां केवल समाचार पत्र के संचालन के लिए एजेएल को लीज पर दी गई थीं।
भारी वित्तीय घाटे से गुजर रही थी कंपनी
भारी वित्तीय घाटे के कारण एजेएल और नेशनल हेराल्ड कर्मचारियों के वेतन, वीआरएस बकाया, कर और अन्य देनदारियों का भुगतान नहीं कर सके। कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को केवल एक समाचार पत्र नहीं बल्कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और कांग्रेस विचारधारा का जीवंत प्रतीक मानते हुए संस्था की रक्षा के लिए 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। कानूनी सलाह पर कांग्रेस ने यंग इंडियन लिमिटेड नामक एक अन्य गैर-लाभकारी कंपनी बनाई। इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, स्वर्गीय मोतीलाल वोरा, स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडीस और सुमन दुबे निदेशक हैं। कंपनी ने कांग्रेस को 50 लाख रुपये देकर एजेएल से 90 करोड़ रुपये का लोन लिया। बदले में एजेएल ने अपने शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए। कंपनी अधिनियम की धारा 25 के अनुसार कोई भी निदेशक वित्तीय लाभ नहीं उठा सकता न वेतन, न लाभांश, न लाभ।
2013 में स्वामी ने कोर्ट में लगाया केस
कुमारी शैलजा ने बताया कि 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में केस दायर किया, जिसे उन्होंने 2020 तक जारी रखा। इससे पहले 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी की चुनाव आयोग में की गई शिकायत खारिज कर दी गई थी। बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगभग तीन वर्षों तक जांच की गई। अगस्त 2015 में ईडी ने कोई गड़बड़ी नहीं पाई और फाइल बंद कर दी। सितंबर 2015 में मामले को फिर से खोल दिया, जो राजनीतिक प्रतिशोध का एक स्पष्ट उदाहरण है। 2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया। तब ईडी के पास चार्जशीट दाखिल करने के लिए 365 दिन थे। 365वें और अंतिम दिन 9 अप्रैल 2025 को ईडी ने चार्जशीट दाखिल की, जिसे अब सार्वजनिक कर दिया गया है।
The property, complete with 30-seat screening from room, a 100-seat amphitheater and a swimming pond with sandy shower…
Post Comments
Subash Chandra
We’ve invested every aspect of how we serve our users over the past Pellentesque rutrum ante in nulla suscipit, vel posuere leo tristique.
Subash Chandra
We’ve invested every aspect of how we serve our users over the past Pellentesque rutrum ante in nulla suscipit, vel posuere leo tristique.
Subash Chandra
We’ve invested every aspect of how we serve our users over the past Pellentesque rutrum ante in nulla suscipit, vel posuere leo tristique.
Subash Chandra
We’ve invested every aspect of how we serve our users over the past Pellentesque rutrum ante in nulla suscipit, vel posuere leo tristique.