इंदौर का प्रभार लेकर सीएम यादव ने साधे एक तीर से कई निशाने.


प्रदेश में मंत्रियों के बीच जिले के प्रभार का बंटवारा हो गया है। सबसे खास बात रही इंदौर का प्रभार मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव द्वारा अपने पास रखना। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा इंदौर को अपने शहरों का शहर कहा करते थे। अब वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने इसे अपना ही बना लिया है।
यह इंदौर शहर के हित में सबसे बड़ा कदम है, क्योंकि इन दिनों इस शहर की हालत बद से बदतर होती जा रही थी। चाहे विकास कार्यों की बात करें, विभिन्न विभागों के कामकाज की बात करें या फिर राजनीतिक परिवेश की, सब कुछ पटरी से उतर चुका है। ऐसे में इंदौर की कमान सख्त और दृढ़निश्चयी डॉ.मोहन यादव के पास होना इंदौर के लिए सौभाग्य की बात है।
सीएम के पास इंदौर की सारी सूचनाएं पहुंचती रही हैं। दो-तीन विधायकों ने भी मुलाकात कर यहां के हाल से अवगत कराया था। ‘सच कहता हूं’ कॉलम में भी कई बार इंदौर के राजनीतिक प्रदूषण पर चिन्ता जताई जा चुकी है। विभागों में समन्वय न होने और चुने हुए जनप्रतिनिधियों के आपसी टकराव के कारण इंदौर असहाय होता जा रहा था।
जब से नई सरकार बनी है, नौ की नौ सीटें भाजपा को मिलने के बाद भी सत्ता का संतुलन नहीं बन पा रहा था। नए-नए पावर में आए कुछ नेता खुद को ही सत्ता का केंद्र समझने लगे थे और उन्हें अन्य चुने हुए जनप्रतिनिधियों से कोई वास्ता नहीं था। न वे सबको साथ लेकर चलना चाहते थे और न ही इंदौर के वरिष्ठ नेताओं को साधने की कोशिश कर रहे थे।
विडंबना यह कि हाल ही में कुछ बड़े आयोजनों में भाजपा के चुने हुए विधायकों को कोई तवज्जो नहीं मिली। ना ऐसे कार्यक्रम के आयोजन से पहले उनसे सलाह ली गई और ना ही उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया। जिम्मेदारी देने की बात तो दूर है। लोग कहने लगे थे कि इससे तो अच्छा सुमित्रा महाजन के समय था, जब वे शहर की राजनीति को तराजू के एक पलड़े पर नहीं झुकने देती थीं। वे जब तक सक्रिय थीं, शहर के बारे में सोचती रहीं।
राजनीतिक असंतुलन का नतीजा यह रहा कि सारे अफसर भी बेलगाम हो गए। इंदौर विकास प्राधिकरण शहर के लिए अहिल्या पथ योजना लेकर आया, जैसे ही इसकी जानकारी नगर एवं ग्राम निवेश विभाग (टीएनसीपी) को लगी उसने योजना की प्रस्तावित जमीन पर धड़ाधड़ नक्शे पास कर दिए। इन दनों मास्टर प्लान के नाम पर जबरदस्त खेल इस विभाग में चल रहा है। नगर निगम के अफसरों को बिना काम किए ही करोड़ों रुपए हजम करने की आदत हो गई है। हाल ही में उजागर हुआ फर्जी बिल घोटाला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। पुलिस के बारे में तो पूरा शहर ही कह रहा है कि वह बिना पैसे लिए एफआईआर तक लिखने को तैयार नहीं। छोटे से लेकर बड़े काम तक की सेटिंग के लिए पुलिस ने दलाल पाल रखे हैं।
अब जबकि मुख्यमंत्री ने इंदौर का टास्क ले लिया है तो निश्चित तौर पर अपनी कार्यशैली के अनुसार ही सख्त कदम उठाते हुए इंदौर के हित में फैसले भी लेंगे। वर्तमान में इंदौर में मेट्रो सहित कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। मास्टर प्लान बनना है। ऐसे में शहर हित में निष्पक्ष और कड़े फैसलों की जरूरत होगी। उन अधिकारियों पर भी नकेल कसेगी जो बेकाबू हो गए थे और उन राजनीतिक ताकतों पर भी अंकुश रहेगा जो खुद को यहां का शहंशाह समझने लगे थे। अब लोगों को भरोसा है कि महाकाल की कृपा से सीएम बने डॉ.मोहन यादव की कृपा इंदौर पर होगी।
सीएम साहब, धन्यवाद जो आपने इंदौर की डगमगाती नैया की पतवार अपने हाथ में ले ली…अब गंदगी मत होने दीजिए…चाहे वह शहर की गंदगी हो…अफसरशाही की गंदगी हो या फिर राजनीति की…
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