यशवंत क्लब में अगर कोई गड़बड़ी नहीं तो कलेक्टर की जांच से क्यों डर गए ‘संभ्रांत’, क्या ‘सरकारी’ जमीन पर बना रखा है ‘प्राइवेट’ क्लब?.


इंदौर। यशवंत क्लब में अगर सबकुछ शीशे की तरह साफ है तो फिर शिकायत और जांच से किस बात का डर। बाहर से कोई शिकायत करे तो उसे भी धमका दो और अगर अंदर से सदस्य ही शिकायत करें तो उन्हें निकालने की धमकी दे डालो। आखिर यशवंत क्लब के वर्तमान संभ्रांत कर्णधार क्या छुपाना चाहते हैं?
उल्लेखनीय है कि यशवंत क्लब में गड़बड़ियों का मामला लगातार उठाया जा रहा है। कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने जब सदस्यों की शिकायतों के आधार पर मामला उठाया तो उन्हें भी दबाने की कोशिश की गई। हालांकि वे मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुके हैं। इसके बाद क्लब के सात सदस्यों ने गलत तरीके से सदस्य बनाने की शिकायत कलेक्टर से की। कलेक्टर ने इस शिकायत के आधार पर सहायक पंजीयक, फर्म एंड सोसायटी, जिला इंदौर को जांच के आदेश दे दिए। कलेक्टर ने अपने आदेश में लिखा कि अनियमित एवं अपारदर्शी तरीके से सदस्य बनाने के मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपे।
शिकायत करने वालों को दिया नोटिस
शिकायत और जांच की जानकारी मिलते ही क्लब की मैनेजिंग कमेटी ने शिकायत करने वाले सदस्यों पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद पांच सदस्यों ने शिकायत वापस ले ली, लेकिन दो सदस्य नहीं माने। जब सारे दांव फेल हो गए तो क्लब के सचिव संजय गोरानी ने दोनों को नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस में कहा गया है कि आपके द्वारा आधारहीन आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के कारण क्लब की प्रतिष्ठा बुरी तरह धूमिल हुई है। आप तीन दिन में जवाब दें, नहीं तो कमेटी एकतरफा कार्रवाई करेगी।
प्राइवेट क्लब में भी इतनी अनियमितता नहीं
यशवंत क्लब के कर्णधार शायद यह भूल गए हैं कि वे 6 रुपए सालाना लीज की जमीन पर बैठे हैं। फर्म एंड सोसायटी से रजिस्टर्ड है और उस पर सारे नियम-कानून लागू होते हैं। भले ही आप मनमाने तरीके से सदस्य बना लेते हो और चुनाव में भी आपकी मनमानी चल जाती है, फिर भी आप कानून के दायरे से बाहर नहीं हो। सरकार ने जिस उद्देश्य के लिए आपको जमीन दे रखी है, वह तो आप पूरा नहीं कर रहे, बल्कि सरकार की बेशकीमती जमीन पर बार, रेस्टोरेंट और क्लब चला रहे हो। जितनी अनियमिताओं की शिकायत आपके क्लब में होती है, उतनी तो किसी प्राइवेट क्लब में भी नहीं होंगी।
पूर्व मंत्री से सांठगांठ कर सरकार को लगाया चूना
सूत्र बताते हैं कि आपके यहां के बार का लाइसेंस पहले 4 ए था, जिसमें आपको सालाना 10 से 15 लाख रुपए तक भरने पड़ते होंगे। कांग्रेस की सरकार में आपने एक पूर्व मंत्री से मिलीभगत कर यह लाइसेंस 4 में परिवर्तित करा लिया, जिसके तहत आपको 3 से 5 लाख तक चुकाने पड़ते होंगे। आप तो इसके हकदार भी नहीं हो, क्योंकि आपके पास तो कमरे भी बने हुए हैं। इस तरह आपने एक पूर्व मंत्री से मिलीभगत कर सरकार के राजस्व का नुकसान पहुंचाया। आप हर बात में नियमों का हवाला देते हो, फिर इस मामले में सारे नियम कहां गए?
सदस्यों से लिए गए करोड़ों रुपए का होता है क्या?
सरकार द्वारा खेल गतिविधियों विशेषकर क्रिकेट के लिए दी गई जमीन पर आप सारे व्यावसायिक काम करते हो, लेकिन क्रिकेट को तो जैसे गायब ही कर दिया। फिर आपका क्लब करता क्या है? सदस्य बनाने के नाम पर 25-30 लाख तक की रकम वसूल कर आप उन पैसों से शहर या प्रदेश या देश का कौन सा भला करते हो? शहर के क्रिकेट खेलने वाले बच्चों की कभी आपने मदद की है। जब सबकुछ आपको प्राइवेट क्लब की तरह ही चलाना है तो सरकारी सुविधाओं का लाभ क्यों?
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