कल्पतरु संस्था में दीपक मद्दा का खेल, बाले-बाले करवा लिया कुसुम इन्फ्रा की जमीन की नपती का आदेश, कलेक्टर को भी नहीं लगने दी भनक.


इंदौर। शहर का कुख्यात भूमाफिया दिलीप सिसोदिया उर्फ दीपक जैन उर्फ दीपक मद्दा एक बार फिर से जमीनों के खेल में सक्रिय हो गया है। सूत्र बताते हैं कि जिस कल्पतरु संस्था में गड़बड़ियों को लेकर मद्दा जेल जा चुका है, अब उसी संस्था में जमीनों का निपटारा करने लगा। दीपक मद्दा ने कलेक्टर से लेकर संस्था के प्रशासक तक को भनक लगे बिना कुसुम इन्फ्रा के जमीनों की नपती का आदेश आरआई के माध्यम से करा लिया है।
उल्लेखनीय है कि दीपक मद्दा के खिलाफ कल्पतरु संस्था में घोटाले को लेकर दीपक मद्दा के खिलाफ क्राइम ब्रांच ने धारा 420, 409, 34 आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज किया था। सहकारिता विभाग के उप अंकेक्षक सुरेश भंडारी के आवेदन की जांच के बाद यह कार्रवाई की गई थी। दीपक ने संस्था के रिकार्ड में हेरफेर कर करोड़ों रुपए के राजस्व की चोरी की इसके साथ संस्था के सदस्यों से पैसा लेकर उन्हें प्लॉट भी नहीं दिए। इसी मामले में दीपक जेल भी गया था, लेकिन बाहर आते ही फिर इसी संस्था में खेल शुरू कर दिए।
ईडी ने भी दर्ज किया था केस
दीपक मद्दा के खिलाफ ईडी ने भी केस दर्ज किया था और उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी। ईडी के अनुसार दीपक मद्दा ने मजदूर पंचायत, देवी अहिल्या श्रमिक कामगार और कल्पतरू सोसायटी में घोटाला किया। मद्दा कल्पतरु गृह निर्माण सोसायटी में 4.89 करोड़ रुपए के घोटाले में गिरफ्त्तार हुआ था। ईडी ने भी केस में जांच की और जेल से ही उसकी सुपुर्दगी ली और पूछताछ की। कल्पतरू मामले में उस पर आधा दर्जन एफआईआर हुई थी। इसके बाद प्रशासन ने रासुका लगाकर जेल भेजा। रासुका रद्द होने पर वह जेल से बाहर आया। इसी दौरान क्राइम ब्रांच में दर्ज कल्पतरु घोटाले की एफआईआर में गिरफ्तार हो गया था। फिर कुछ दिनों बाद उसकी बेल हुई थी।
राजस्व निरीक्षक के सहारे किया खेल
सूत्र बताते हैं कि दीपक मद्दा ने कल्पतरु संस्था की बिचौली हप्सी में स्थित कुसुम इन्फ्रा की जमीन की नपती के आदेश कलेक्टर और प्रशासक को भनक लगे बिना बाले-बाले राजस्व निरीक्षक के माध्यम से करा ली। इसकी जानकारी तब लगी जब संबंधित क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक द्वारा सीमांकन के लिए बिना दिनांक और क्रमांक के एक पत्र भेजा गया। यह पत्र मिलने के बाद निर्मला रावत एवं सतीश सोनी ने इस पर आपत्ति लेते हुए राजस्व निरीक्षक को पत्र भेजा। इसमें स्पष्ट कहा गया कि यह जमीन उन्होंने कल्पतरु गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित तर्फे उपाध्यक्ष दिलीप गुप्ता से खरीदी थी। इसका नामांतरण भी 16/07/2003 को किया गया। इस तरह आपत्तिकर्ता निर्मला रावत का नाम आवेदक कुसुम इन्फा के टाइटिल होल्डर भूपेश संधवी द्वारा भूमि क्रय करने के पूर्व ही राजस्व रेकार्ड में दर्ज हो गया था। इस तरह आपत्तिकर्ता निर्मला रावत एवं सतीश सोनी अपने स्वत्व की भूमि पर भौतिक रुप से काबिज है।
सुनवाई से पहले ही नपती की कोशिश
आपत्तिकर्ता ने अपने पत्र में यह भी कहा था कि इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अनुभाग बिचौली हप्सी जिला इन्दौर के समक्ष 10 जुलाई 2025 सुनवाई होनी है। आपत्तिकर्ता द्वारा आवेदक के सीमांकन के प्रकरण में भी लिखित आपत्ति मय दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत की है। उक्त आपत्ति पर भी 04 जुलाई 2025 को तहसीलदार बिचौली हप्सी जिला इन्दौर के न्यायालय में आपत्ति पर तर्क हेतु सुनवाई है। सीमांकन प्रकरण में आपत्ति के निराकरण के उपरांत ही जमीन की नपती की जाए।
प्रशासक ने कहा-कोई जानकारी नहीं
कल्पतरु संस्था के प्रशासक सहकारिता विभाग के उप अंकेक्षक सुरेश भंडारी से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस मामले की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी तरफ से कल्पतरु संस्था की किसी भी जमीन की नपती के आदेश नहीं दिए गए हैं।
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