29℃ Madhya Pradesh

Get In Touch

सी-21 बिजनेस पार्क की जमीन खरीदी में एक और फर्जीवाड़ा उजागर, पिंटू छाबड़ा ने गलत तरीके से सहकारिता विभाग से ली थी एनओसी

Logo

इंदौर। मॉल मालिक पिंटू छाबड़ा ने सी-21 बिजनेस पार्क की जमीन खरीदने के लिए सारे विभागों की फर्जी अनुमतियों का इस्तेमाल किया है। आईडीए की जिस एनओसी का जिक्र रजिस्ट्री में किया गया है, वह तो आईडीए के किसी रिकॉर्ड में ही नहीं है। सहकारिता विभाग की जांच में खुलासा हुआ है कि पिंटू छाबड़ा ने यहां भी डीआर से गलत तरीके से अनुमति ले ली। डीआर को किसी प्राइवेट व्यक्ति को एनओसी देने का अधिकार ही नहीं है। अब इस मामले की जांच भी चल रही है।

उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय के आदेश पर तृष्णा गृह निर्माण संस्था के फर्जीवाड़े की जांच सहकारिता विभाग कर रहा है। इसमें पता चला है कि जमीन की रजिस्ट्री गलत तरीके से कराई गई थी। जिस तृष्णा गृह निर्माण संस्था ने जमीन बेची, उसका पंजीयन भी निरस्त हो चुका है। वह भी उस समय जब पंजीयन निरस्त करने पर रोक था। इसके साथ ही सहकारिता विभाग की जांच में कई अन्य तथ्य भी सामने आए हैं। इसके आधार पर अब आगे की जांच चल रही है।

डीआर पाटनकर इस खेल में छाबड़ा के साथ

सूत्र बताते हैं कि जांच में यह भी पता चला है कि तत्कालीन डीआर के. पाटनकर इस पूरे खेल में पिंटू छाबड़ा के साथ थे। पाटनकर ने जिस समय तृष्णा गृह निर्माण संस्था का निलंबन निरस्त किया, उस समय सरकार का आदेश था किसी भी संस्था को डिजॉल्व नहीं किया जाए। इसके बावजूद तृष्णा को डिजॉल्व कर दिया गया। इतना ही नहीं इसके ऑडिट नोट भी गायब हो गए। ऑडिट नोट नहीं मिलने पर सहकारिता विभाग ने पाटनकर से इस संबंध में पत्र लिखकर पूछा भी है। इसके बाद  पाटनकर ने ही पिंटू छाबड़ा को गलत तरीके से एनओसी का पत्र दे दिया।

डीआर की अनुमति की जांच करेगा सहकारिता विभाग

चूंकि डीआर किसी प्राइवेट पार्टी को अनुमति या एनओसी दे ही नहीं सकते, इसलिए अब पाटनकर की भूमिका संदिग्ध हो गई है। सहकारिता विभाग के सूत्र बताते हैं कि इस मामले में पाटनकर की भूमिका की जांच भी शुरू हो गई है। उनसे पूछा जाएगा कि जब जमीन तृष्णा गृह निर्माण संस्था की थी तो उन्होंने नियम विरुद्ध बेबीलोन यानी पिंटू छाबड़ा को एनओसी कैसे जारी कर दी। क्योंकि, पाटनकर की जिम्मेदारी सहकारी संस्थाओं के प्रति है न कि प्राइवेट लोगों या संस्थाओं के प्रति।

आईडीए के पास तो एनओसी का कोई रिकॉर्ड ही नहीं

सी-21 बिजनेस पार्क जिस जमीन पर बना है, वह तृष्णा गृह निर्माण से बेबीलोन इंफ्रस्टाक्चर ने खरीदी थी, जिसके वर्तमान कर्ताधर्ता पिंटू छाबड़ा है। इस जमीन की पांच रजिस्ट्री है। इसकी चार रजिस्ट्री पर आईडीए के 21 दिसंबर 1998 के पत्र क्रमांक 1700 का जिक्र किया गया है। इस पत्र में कहा गया है कि यह जमीन आईडीए के किसी योजना में नहीं है। इसी तरह एक रजिस्ट्री में 20 अक्टूबर 2005 के आईडीए के पत्र क्रमांक 6864 का जिक्र किया गया है, जिसमें उल्लेख है कि यह जमीन आईडीए के किसी स्कीम में नहीं है। जब आईडीए के अधिकारियों से उपरोक्त दोनों पत्रों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया। जब सूचना के अधिकार के तहत आईडीए से जानकारी मांगी गई तो आईडीए ने इस तरह के किसी पत्र का कोई रिकॉर्ड होने से लिखित में मना कर दिया।

पाटनकर को फिर इंदौर लाने की तैयारी

जिस डीआर के. पाटनकर ने पिंटू छाबड़ा के इस बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम तक पहुंचाया, उन्हें फिर से इंदौर लाने की तैयारी चल रही है। पाटनकर फिलहाल उज्जैन में पदस्थ हैं और इंदौर के कई भूमाफियों के खास रहे हैं। तृष्णा गृह निर्माण संस्था की फाइल खुलने के बाद इंदौर के भूमाफियाओं का दावा है कि पाटनकर जल्द ही इंदौर आ जाएंगे। सूत्र बताते हैं कि भूमाफिया यह दावा कर रहे हैं कि इसके लिए विभागीय मंत्री तथा सहकारिता विभाग भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों से बात भी हो चुकी है। अगर पाटनकर इंदौर आ गए तो तृष्णा गृह निर्माण संस्था और सी-21 बिजनेस पार्क के फर्जीवाड़े की जांच भ्रष्टाचार की आंच में जल जाएगी।

 

img
News Head

Harish Fatehchandani

News Head

Post a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp