कलेक्टर साब की इज्जत की वॉट लगाती राम चरण की गेम चेंजर!.


कलेक्टर कोई पद नहीं, एक संस्था है। यह संस्था संविधान प्रदत्त ताकत रखती है। इस संस्था में लोगों का विश्वास जनसुनवाई में देखा जा सकता है। प्रशासनिक अमले में इसका इतना महत्व है कि आईएएस होते ही हर अधिकारी कलेक्टर बनने की चाह रखता है। हाल ऐसा है कि सीनियर होने और प्रमोशन पाने के बाद भी कई अफसरों का कलेक्टरी से मोह बना रहता है। राम चरण गेम चेंजर फिल्म में ऐसे कलेक्टर बने हैं जो हर अन्याय और करप्शन ख़त्म करने के लिए संकल्पित हैं, लेकिन वे ऐसे नमूने हैं जो कई जगह छिछोरेपन पर आमादा हो जाते हैं। भूल जाते हैं कि कलेक्टर का पॉवर उसे मिली प्रशासनिक शक्तियों में निहित है, उसके बाजू बल और अखाड़ेबाजी में नहीं।
कहानी राम (राम चरण) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक आईपीएस अधिकारी से आईएएस अधिकारी बनता है। उसकी प्रेरणा उसकी प्रेमिका दीपिका (कियारा आडवाणी) है, जो उसे समाज में बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करती है। राम की नियुक्ति एक भ्रष्ट राज्य में जिला कलेक्टर के रूप में होती है, जहां वह व्यवस्था को सुधारने और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ता है। उसकी टक्कर मुख्यमंत्री के बेटे मोपिदेवी (एस.जे. सूर्या) से होती है, जो खुद सीएम बनने की योजना बना रहा है। बेतुकी कहानी में कई ट्विस्ट और टर्न आते हैं, लेकिन इसका क्लाइमेक्स दर्शकों को बांधने में नाकाम रहता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह फिल्म 450 करोड़ के खर्च से बनी हैं। वाहियात से पांच गानों को फिल्माने के लिए ही करीब 75 करोड़ खर्च दिए गए। (स्त्री 2 जैसी सुपर हिट फिल्म 60 करोड़ में बनी थी)। शंकर बड़े बजट और भव्य सेट्स के लिए मशहूर हैं, लेकिन इस बार वह कहानी और स्क्रीनप्ले में कुछ खास जोड़ने में असफल रहे। फिल्म कई जगहों पर उनकी पुरानी फिल्मों की झलक देती है। राम चरण का एंट्री सीन और इंटरवल के कुछ दृश्य दर्शकों को उत्साहित करते हैं, लेकिन फिल्म का फ्लैशबैक और क्लाइमेक्स कमजोर हैं। फिल्म को छोटा किया जाता, तो यह बेहतर होती।
राम चरण ने अपने डबल रोल में प्रभावी प्रदर्शन किया है और दर्शकों को कई दृश्यों में तालियां और सीटियां बजाने पर मजबूर किया। कियारा आडवाणी का काम ठीक है, लेकिन उनकी भूमिका सीमित है। एस.जे. सूर्या ने विलेन के रूप में शानदार अभिनय किया और हर सीन में अपनी छाप छोड़ी। भव्य सेट्स और सिनेमाटोग्राफी फिल्म की ताकत हैं। हालांकि, फिल्म का संगीत औसत है। गेम चेंजर एक सामान्य फार्मूला फिल्म है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर आधारित है। फिल्म के अनुसार सभी नेता भ्रष्ट, दुष्ट, अपराधी हैं और सभी अफसर दूध के धुले हैं। जनता बेचारी है...और दर्शक? नासमझ!!
Article By :
-डॉ.प्रकाश हिन्दुस्तानी, वरिष्ठ पत्रकार
राम चरण गेम चेंजर फिल्म में ऐसे कलेक्टर बने हैं जो हर अन्याय और करप्शन ख़त्म करने के लिए संकल्पित हैं, लेकिन वे ऐसे नमूने हैं जो कई जगह छिछोरेपन पर आमादा हो जाते हैं।
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