बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर बोला सुप्रीम कोर्ट-अगर साबित कर दिया कि प्रक्रिया अवैध है तो लगा देंगे रोक.
नई दिल्ली। बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा है कि अगर सितंबर में भी साबित कर दिया कि प्रक्रिया अवैध है तो इस पर रोक लगा दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पांच करोड़ लोगों की फिर से जांच चल रही है और सिर्फ कुछ महीनों का ही समय दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल करके एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। दावा किया गया है कि प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। एक याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि साल 2003 में वोटर लिस्ट में रहे पांच करोड़ लोगों को फिर से जांचा जा रहा है? इसके लिए कुछ महीनों का समय दिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चिंता न करें, अगर 5 करोड़ लोगों को बाहर कर दिया, तो कोर्ट है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकता तय करने का नियम संसद बनाती है, लेकिन जो नियम हैं, उनका सब पालन करते हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर आप लोग सितंबर में भी साबित कर देंगे कि प्रक्रिया अवैध है, तो हम उसे बंद करवा देंगे। एसआईआर को लेकर जिन लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं उनमें कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा, सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा, एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, पीयूसीएल और नेशनल फेडरेशन फॉर इंडियन वूमेन शामिल हैं।
मामला भरोसे की कमी का
मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि यह मामला ज्यादातर भरोसे की कमी का है। चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि 7.9 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 6.5 करोड़ लोगों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि वे या उनके माता-पिता 2003 की मतदाता सूची में पहले से दर्ज थे। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा- अगर 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने एसआईआर का जवाब दिया है, तो 1 करोड़ मतदाताओं के नाम गायब होने'का तर्क नहीं टिकता है।
जिंदा लोगों को मृत बताया-यादव
योगेंद्र यादव ने कहा कि महिलाओं की बड़ी संख्या है जिन्हें स्थानांतरित बता रहे हैं, जबकि पुरुषों का ज्यादा पलायन होता है। उन्होंने कहा कि 65 लाख लोगों को हटाना बहुत बड़ी बात है। योगेंद्र यादव ने एक महिला और पुरुष को कोर्ट में दिखाया जिन्हें ड्राफ्ट लिस्ट में मृत बताया गया है। चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने इसका विरोध किया और कहा कि ये सब कोर्ट के बजाय टीवी स्टूडियो में करें। उन्होंने कहा कि यहां ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे आसमान टूट पड़ा हो। कोर्ट ने भी कहा कि अगर किसी का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में छूटा है तो वह फाइनल लिस्ट में आ सकता है। यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं।